गुरु रविदास जी की शिक्षाएं और अध्यात्मिक ज्ञान पूरे देश के लिए प्रेरणादाई है।

AAS 24newsपडोह/मंडी

संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी की 645 वीं जयंती समूचे प्रदेश में बड़े हर्षोल्लास, भजन कीर्तन और उनके प्रेरणादाई प्रवचनों के साथ संपन्न हो गई। छोटी काशी मंडी में गुरु रविदास गुरुद्वारों में उनके अनुयायियों द्वारा व संत रविदास जी के भक्ति रस दार्शनिक सोच और समतापूर्क सफल लोकतंत्र की परिकल्पना के साथ मनाई गई। जिला मुख्यालय मंडी में स्थित रवि नगर गुरुद्वारे में 1 सप्ताह पूर्व से प्रभात फेरी संध्या भजन कीर्तन और 15 फरवरी को गुरु रविदास जी की भव्य झांकी प्रदर्शित की गई। जिसमें जिला भर के लोगों ने भाग लेकर गुरु महिमा का गुणगान करते हुए अपने जीवन को सफल बनाया। वही जिला के हर उपमंडल तहसील यहां तक की गांव-गांव में बने छोटे बड़े श्री गुरु रविदास गुरुद्वारे में भजन कीर्तन और विशाल भंडारे के आयोजन किए गए। मंडी जिला का हर गुरुद्वारा विशेष साज-सज्जा के साथ गुरु महिमा के रस में भक्ति डूब गया था। इस कड़ी में पंडोह क्षेत्र के धडोली गुरुद्वारे में भी गुरु रविदास जी की महिमा का गुणगान किया गया भजन कीर्तन के साथ गुरु जी की वाणी से सामाजिक बुराइयों पर प्रहार किया गया। शक्ति महिला मंडल धडोली की महिलाओं ने भजन कीर्तन के साथ साथ निशान साहब की सेवा की और गुरु जी की महिमा का गुणगान किया। इस अवसर पर समाजसेवी बीआर भाटिया ने भी शिरकत करते हुए जहां गुरु रविदास जी का आशीर्वाद प्राप्त किया वही उपस्थित भक्तजनों को गुरु के बताए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित भी किया। उन्होंने कहा कि गुरु रविदास जी आज से लगभग साडे छः शतक पूर्व आम जनमानस को ऐसे समतापूर्क लोकतंत्र की कामना की जिसमें हर कोई बराबर हो। किसी प्रकार का कोई भेद-भाव न हो। इसलिए उन्होंने कहा”ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिले सभन को अन्न,छोट बड़ो सब सम बसे,रविदास रहे प्रसन”… उन्होंने कहा कि रविदास जी एक बड़े अध्यात्मिक गुरु भी रहें और एक महान दार्शनिक भी थे‌। जबकि पंचायत प्रधान पंडोह गीता देवी ने गुरु रविदास जी को एक महान संत करार देते हुए कहा कि उनकी कृपा से आज समानता की ओर देश और देशवासी बढ़ रहे हैं। वे जाती पाती के घोर विरोधी रहे हैं। वही गुरु रविदास मंदिर कमेटी अपर पंडोंह के संस्थापक हर भगवान दास प्रेमी ने कहा कि गुरु रविदास जी की वाणी और उनके द्वारा दिए गए उपदेश आज के दौर में भी अत्यंत उपयोगी और प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि संत गुरु रविदास जी मूर्ति पूजा के घोर विरोधी थे। जबकि पूर्व जिला परिषद सदस्य सोहनलाल ने अप्पर पंडोह गुरु रविदास गुरुद्वारे में अपने सम्बोधन में कहा कि संतगुरु रविदास जी केवल एक विशेष जाति के संत नहीं थे उनके आचरण व्यवहार और लेखनी का समूचा मानव जीवन कायल है। बीडीसी सदस्य पडोह अनिता कुमारी ने कहा कि संत गुरु रविदास जी महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न और अत्याचार के घोर विरोधी थे। वे समानता के पक्षधर रहे। इसी तरह से नाड़ी सयाज, ग्वाड़,कुकलाह,गागल,पाली,गिहुला,चडयाणा और बडोगी मैं भी गुरु रविदास जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई।

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