प्रदेश में आयोग का गठन 2017 में किया गया और हाल ही में आयोग का पुनर्गठन अगस्त, 2021 में हुआ
मेघ सिंह कश्यप
कुल्लू 25 अप्रैल
अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के साथ किसी भी प्रकार के अत्याचार पर पुलिस तुरंत से अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत एफआई आर दर्ज करे। यह बात हि.प्र. राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष वीरेन्द्र कश्यप ने आज जिला परिषद सभागार कुल्लू में अनुसूचित जाति वर्ग के लिये संचालित विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि जिला में वर्ष 2018 के दौरान अनुसूचित जाति के लोगों के साथ अत्याचार के 123 मामले दर्ज किये गए हैं। वर्ष 2015 से अभी तक कुल 202 मामले दर्ज हुए हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत बार पुलिस मामला दर्ज करने में आनाकानी करती है जिससे पीड़ित व्यक्ति को न्याय नहीं मिल पाता। उन्होंने अनुसूचित जाति के चुने हुए प्रतिनिधियों से यह भी आग्रह किया कि किसी के बहकावे में आकर झूठा मामला न बनवाए। इससे समाज में समरसता को विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि समाज में कुछ शरारती तत्व हमेशा रहते हैं जो समाज को तोड़ने की कोशिश मे लगे रहते हैं। इनसे सावधान रहने की जरूरत है।
न्यायिक शक्तियों व कार्यकलापों पर अधिनियम बनाएगा आयोग के गठन के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि अनुसूचित जाति आयोग विशेषकर अनुसूचित जाति समुदायों के साथ असमानता, अन्याय तथा अत्याचार के मुद्दो का समाधान करवाने के लिये एक महत्वपूर्ण तंत्र है। प्रदेश में आयोग का गठन 2017 में किया गया और हाल ही में आयोग का पुनर्गठन अगस्त, 2021 में हुआ है। आयोग का कार्यालय हि.प्र. सचिवालय शिमला के समीप स्थित है। आयोग का कार्य अनुसूचित जाति के लोगों को शोषण से बचाना तथा उनके सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक हितों की रक्षा करना है।
उन्होंने कहा कि आयोग को न्यायिक शक्तियां भी प्राप्त है और आयोग जल्द ही इस बारे अधिनियम बनाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग की जिम्मेवारी है कि अनुसूचित जाति वर्ग के साथ किसी प्रकार का सामाजिक, आर्थिक अथवा प्रशासनिक कारणों से प्रदेश के किसी भी संस्थान में हो रहे अत्याचार के मामलों में न्याय प्रदान करवाया जाए। आयोग के कार्यालय में आ रही इस प्रकार की शिकायतों का त्वरित समाधान करना भी आयोग का दायित्व है।अध्यक्ष ने कहा कि समाज के सौहार्द्व और भाईचारा बना रहे, इसके लिये दलितों के प्रति अच्छा व्यवहार होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बाबा साहिब अम्बेदकर ने संविधान में समाज के पिछड़े वर्गों, दलितों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिये अलग से प्रावधान किये हैं। इनका इमानदारी के साथ कार्यान्वयन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा यह खुशी की बात है कि हिमाचल प्रदेश में सभी वर्गों में आपसी सामजस्य और सौहार्द्व अन्य प्रदेशों की तुलना में कहीं अच्छा है।
अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम के तहत 100 फीसदी खर्च
जिला में अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम के तहत विभागवार प्रगति का ब्यौरा लेते हुए अध्यक्ष ने निधि का लगभग 100 फीसदी उपयोग होने पर संतोष जाहिर किया और उपायुक्त की सराहना की। उन्होंने कहा कि एक-दो विभागों के अलावा सभी ने बेहतर कार्य किया है। उन्होंने कुछ अधिकारियों द्वारा संतोषजनक रिपोर्ट प्रस्तुत न करने पर उन्हें जल्द से उपायुक्त से बैठक करके रिपोर्ट आयोग को सौंपने को कहा। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति निगम में कुल 1332 मामले निपटारे के लिये दर्ज हुए हैं इनमें से 125 मामलों में 4.63 लाख रुपये की राशि की वसूली हुई है।
अध्यक्ष ने उपायुक्त के माध्यम से सभी मामलों को जल्द सुलझाने के लिये कहा। आनी के विधायक किशोरी लाल सागर ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के लिये सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का समुचित व समयबद्ध लाभ प्रदान किया जाना चाहिए। इसके लिये अधिकारी फील्ड में जाकर लोगों में जागरूकता उत्पन्न करें तथा योजनाओं के लाभ के लिये लोगों की सहायता करें। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति विकास योजना की धनराशि का दुरूपयोग नहीं किया जाना चाहिए। अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 3640 लाख व्यय उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने जिला कल्याण अधिकारी समीर चन्द्र के सहयोग से बैठक का एजेण्डा प्रस्तुत करते हुए अवगत करवाया कि जिला में 2011 की जनगणना के आधार पर अनुसूचित जाति की जनसख्ंया 122659 है जो कुल जनसंख्या का 28.01 फीसदी है। पंचायती राज संस्थानों में इस वर्ग के चुने हुए प्रतिनिधियों की बात करें तो जिला परिषद में चार, पंचायत समितियों में 32, नगर परिषदों व नगर पंचायतों में 9 जबकि 70 पंचायत प्रधान हैं जो जनसंख्या अनुपात से अधिक हैं।
अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2021-22 के दौरान जिला में 3640 लाख रुपये व्यय किये गए हैं। आश्रय योजना में 982 परिवारों को उपलब्ध करवाए मकान बैठक में अवगत करवाया गया कि वर्ष 2015 से अभी तक अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों को विभिन्न बैंकों द्वारा 123 मामलों में 266 लाख रुपये के शिक्षा ऋण प्रदान किये हैं। अध्यक्ष ने नाराजगी जताते हुए कहा कि निजी बैंक शिक्षा के लिये ऋण नहीं दे रहे हैं। उन्होंने उपायुक्त से इस मामले में संज्ञान लेने को कहा। हालांकि उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक तथा स्टेट बैंक द्वारा दिये जा रहे शिक्षा ऋण के लिये उनकी सराहना की। स्वर्ण जयंती आश्रय योजना के तहत इसी अवधि में जिला में 982 परिवारों को मकान उपलब्ध करवाए गए और इसपर 11.53 करोड़ रुपये व्यय किये गए हैं।अनुवर्ती कार्यक्रम योजना के तहत 2021-22 तक जिला में कुल 2722 मामले स्वीकृत किये गए हैं और इसपर 32.75 करोड़ रुपये की राशि व्यय की गई। अंतरजातीय विवाह पुरस्कार योजना के अंतर्गत 2015 से अभी तक कुल 112 मामलों में 58.50 लाख रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है।
आयोग को अवगत करवाया गया कि जिला में सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत कुल 44678 लाभार्थियों को पेंशन प्रदान की जा रही है जिनमें 13231 लाभार्थी अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित हैं। आयोग के न्यायिक सदस्य अशोक चौहान, एचपीएमसी के उपाध्यक्ष राम सिंह, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक नीरज गुप्ता, पंचायती राज संस्थानों व नगर पंचायतों के चुने हुए प्रतिनिधि, अन्य गैर सरकारी सदस्यों में अमर चंद शालाठ, डीणे राम आनंद, नंद लाल वर्धन, मेघ सिंह कश्यप व चेतराम कौंडल तथा समस्त विभागों के अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।