AAS 24newsपडोह,18 मई
बालक राम.
विभिन्न सरकारी मदो से 80 लाख खर्च करने पर निर्मित सयोग पंचायत की गांव तरयामबला की वाहन योग्य पक्की सड़क 16 महिनों से बन्द की गई है। हैरत की बात है कि स्थानीय सरकार यानी पंचायत व जिला प्रशासन मूक दर्शक बन लोगों की परेशानियों का तमाशबीन बना है। गांव के लोग बनी बनाई सड़क को बन्द देखकर अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं। और स्तब्ध हैं अपनी स्थानीय पंचायत के जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली से। राष्ट्रीय उच्च मार्ग 21 पंडोह -जरल से तरयामबला गांव ढेड किलोमीटर सड़क पूरी तरह से पक्की की गई है। जिस स्थान से चंद लोगों ने सड़क को बजरी पत्थर झाड़ियां रखकर जानबूझकर बंद किया है। यह केवल 20 मीटर क्षेत्र है। जो कच्चा है। यानी इस स्थान पर कंक्रीट नहीं की गई है। इससे आगे आंगनवाड़ी केन्द्र तरयामबला तक सड़क बहुत सुंदर कंक्रीट से पक्की की गई है। इसके आगे 1 किलोमीटर सड़क कच्ची जरूर है जो इसी पंचायत के ढमैणी गांव को जोड़ती है। सड़क के अवरुद्ध होने से गांव के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं लोग अब अपनी जमीन तक को जोत नहीं पा रहे हैं। क्योंकि पूरे गांव में नकदी फसल के साथ-साथ धान,गेहूं और मक्के की बंपर फसल होती रही है। पूरा क्षेत्र सिंचाई व्यवस्था के साथ जुड़ा हुआ है और ट्रैक्टर से खेतों की जुताई की जाती रही है। अब ट्रैक्टर के ना आने से अधिकांश खेत बंजर है। वहीं वृद्ध और बीमार लोगों को एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है जो सड़क अवरुद्ध होने से पिछले 5 वर्ष लगातार मिलती रही है। दिव्यांग जनों को मंडी या अन्य स्थानों में आने जाने के लिए अब भारी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। गांव के युवा अनंतराम ने बताया कि उन्होंने और पूर्व में रहे वार्ड पंच रोशन लाल ने सड़क अवरुद्ध होने की शिकायत सबसे पहले नवनिर्वाचित ग्राम पंचायत के समक्ष की। ग्राम सभा में संजय शर्मा ने इस पूरे मामले को गर्मजोशी से उठाया व सड़क को पुनः सुचारू करने की पुरजोर मांग की। जिसे पंचायत ने अनसुना कर दिया अब तक पंचायत द्वारा कोई कार्यवाही इस मामले में नहीं की गई है जो निंदनीय है। नतराम ने बताया कि उन्होंने व पूर्व में रहे वार्ड पंच रोशन लाल ने सड़क अवरुद्ध होने का मामला मुख्यमंत्री सेवा संकल्प योजना में 1100 के माध्यम से उठाया। जिस में भी राजस्व अधिकारियों ने गोलमोल जवाब के साथ मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। बताते चलें सड़क का निर्माण तत्कालीन पंचायत प्रधान महेंद्र पाल द्वारा सन् 2017 में विभिन्न मदों मनरेगा, अनुसूचित जाति उपयोजना, एमपी हेड आदि से लगभग 80 लाख की लागत से किया है। जिसमें पक्के डंगे भी शामिल है। सड़क एकदम चकाचक बनाई गई थी। क्योंकि तत्कालीन पंचायत प्रधान महेंद्र पाल का घर भी इसी गांव में इसी सड़क के माध्यम से जुड़ता है। मगर बंद होने के कारण अब इनका घर सड़क सुविधा से वंचित है। वर्तमान में पंचायत के उप प्रधान फते राम का घर भी इसी सड़क के माध्यम से जुड़ता है, मगर सड़क बाधित होने से यह भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। बताते चलें कि वर्तमान में उप प्रधान व पूर्व में रहे प्रधान दोनों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से इस सड़क का निर्माण किया था। आजादी के 6 दशकों बाद तरयामबला व डमैणी गांव सड़क सुविधा से जुड़ पाया था। लोगों में भारी उत्साह था। जिसका पूरा श्रेय तत्कालीन पंचायत प्रधान महेंद्र पाल को जाता है। मगर जैसे ही पंचायत चुनाव शुरू हुए वैसे ही जमीन के मालिकों ने जो मात्र 20 मीटर से भी कम का एरिया है को बाधित कर दिया। बाधित जमीन के हिस्सेदार बहुत है। उन सभी का कहना है कि हम किसी भी सूरत में सड़क को पुनः नहीं खुलने देंगे। कारण राजनीतिक बताया जा रहा है मगर प्रभावित पूरा गांव हो रहा है। हैरत की बात तो यह है कि जब पंचायत की ग्राम सभा में यह मामला उठाया गया तो पंचायत प्रधान विशेषकर उप प्रधान जो स्वयं पीड़ित भी हैं इस मामले का समाधान अब तक क्यों नहीं किया गया। पंचायत क्यों चुप है। जब 1100 नंबर पर मामला प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन के ध्यान में आया है तो जिला प्रशासन क्यों मूकदर्शक बना है। सरकार के 80 लाख रुपए इस सड़क पर खर्च किए गए हैं जो व्यर्थ हो रहे हैं। प्रशासन इस पर संज्ञान क्यों नहीं ले रहा है। हर गांव को सड़क से जोड़ने का सरकार की प्राथमिकता है, तो यहां बनी बनाई सड़क बंद की गई है। इसे सुचारु करने के लिए पहल क्यों नहीं की जा रही है। इन सभी सवालों के जवाब मिलने आवश्यक हैं और सड़क का खुला जनहित में अत्यंत ही आवश्यक है। बंद करने के कारण कोई भी रहे हो मगर हर हाल में सड़क खुलनी चाहिए। सड़क खुलवाने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी फोरमैन मनीराम, रोशन लाल, संजय शर्मा, परमानंद, राम सिंह, बीडीसी सदस्य व पूर्व में 2 बार रहे प्रधान खेमचंद, चमन लाल, देवी राम, मस्तराम, खेमचंद, मणिराम, हेतराम और अनंतराम ने उपायुक्त मंडी से आग्रह करते हुए कहा कि बंद की हुई सड़क ग्राम पंचायत सयोग की भाग्य रेखा है। किसी भी सूरत में इसे वाहनों के लिए पुनः सुचारू किया जाए। सयोग पंचायत की प्रधान विना महंत ने कहा कि यह मामला पंचायत के ध्यान में है। उन्होंने कहा कि पूर्व में रहे प्रधान महेंद्र पाल व वर्तमान में उप प्रधान फते राम ने सड़क के लिए जमीन देने वाले लोगों से जो वादे किए थे वे पूरे नहीं किए गए। उन्हें जमीन के बदले जमीन नहीं दी गई। ना ही सहमति शपथ पत्र लिए गए हैं। जिस कारण हम किसी पर दबाव नहीं बना सकते। सड़क खुलवाने के प्रयास आपसी सहमति से किए जा रहे हैं।
बीडीसी सदस्य सयोग वार्ड व पूर्व में दो बार सयोग पंचायत के रहे प्रधान खेमचंद ने बताया कि बहुत ही महत्वपूर्ण सड़क का बाधित होना ग्रामीण विकास का रुक जाना है। जनहित में इस सड़क का खुलना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए जिला प्रशासन को पंचायत व स्थानीय लोगों के साथ समन्वय स्थापित करना होगा।