जातीय हिंसा का बताया जा रहा है मामला,
दोनों भाइयों को मृत समझकर फेंक दिया था झाड़ियों में,
मंडी पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर मानवाधिकार कार्यकर्ता टीम सहित अनु जाति के संगठनों ने दिया धरना.
AAS 24news पधर /मंडी
जिला मंडी के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के उपमंडल पद्धर के गांव खूंड निवासी पवन कुमार और उसके भाई देवेंद्र कुमार पुत्र चंद्र पर सामान्य वर्ग के आधा दर्जन से अधिक लोगों द्वारा 20 नवंबर की रात्रि को डंडे व पत्थर से जानलेवा हमला होता है और फिर झाड़ियों में फेंक दिया जाता हैं।
हमलावरों ने सोचा कि दोनों भाई मर चुके हैं तो भाग जाते हैं मगर किसी ने उनको वहां देख लिया तो घायलों के तुरंत परिजनों को सूचना दे दी। दोनों भाइयों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया और उनको प्राथमिक उपचार दिया गया।
इस घटना संबंधी जानकारी देते हुए गंभीर रूप से घायल पवन कुमार की पत्नी रमणा देवी ने बताया कि उनके पति को जोनल अस्पताल मंडी से शिमला रेफर कर दिया गया था और उनके जेठ देवेंद्र कुमार को मंडी में भर्ती किया गया है । दोनों ही बयान देने की हालत में भी नहीं थे मगर पुलिस ने इनके टूटे-फूटे बयान लेकर मामला दर्ज कर दिया मगर घर वालों को कोई सूचना नहीं दी।
4 दिन बीत जाने के बाद भी उन्हें एफ आई आर की कॉपी नहीं दी गई। रमना देवी ने बताया कि उनके पति की हालत बहुत नाजुक है मगर शिमला से डॉक्टरों ने उनको छुट्टी दे दी। पति की गंभीर हालत को देखते हुए परिजनों ने फिर से मंडी हॉस्पिटल में पवन कुमार को दाखिल किया और दोनों भाई मौत और जिंदगी के बीच में जूझ रहे हैं।
पिछले कल यानी 23 नवंबर को रमना देवी ने अपनी आपबीती ह्यूमन राइट डिफेंडर लीलाधर चौहान को टेलीफोन पर बताएं तो लीलाधर चौहान ने रमना देवी को कॉन्फ्रेंस पर लेकर पुलिस कंट्रोल मंडी और पधर पुलिस स्टेशन प्रभारी से मामले संबंधी पूरी बात की और एफ आई आर की कॉपी ना देने पर भी सवाल किए मगर पुलिस की तरफ से संतुष्टि जनक जवाब नहीं मिला।
लीलाधर चौहान ने इस मामले की गंभीरता समझते हुए मंडी पुलिस के डीएसपी और एसपी से बात करनी चाहिए मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जबकि मामले 6 से भी ज्यादा आरोपी पवन कुमार ने अपने बयान में बताया है। परिजनों ने बताया कि पुलिस इस केस को दबाना चाहती है । इसके साथ साथ इस मामले में अभी तक अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम भी नहीं जोड़ा गया है जिससे अनुसूचित जाति समाज के समस्त संगठनों ने मिलकर आज पुलिस अधीक्षक मंडी के कार्यालय में धरना भी दिया और एक विज्ञापन भी दिया।
ह्यूमन राइट्स डिफेंडर लीलाधर चौहान ने बताया कि उन्होंने अपने स्तर पर पधर पुलिस स्टेशन के प्रभारी सुरेंद्र कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि वह किसी एविडेंस पर चंबा गए हुए हैं, मामले संबंधी पूरी जानकारी नहीं है । लीलाधर चौहान ने प्रभारी से एट्रोसिटी एक्ट न लगाने के बारे में पूछा तो जवाब में प्रभारी ने बताया कि शिकायतकर्ता ने जातीय हिंसा का जिक्र नहीं किया है। मामले की गंभीरता के आधार पर जिला मंडी के पुलिस अधिकारियों से बात करनी चाहिए मगर अधिकारियों ने फोन तक नहीं उठाया तो मजबूरन उनके सहयोगियों को आज धरना प्रदर्शन करना पड़ा।
आज जिला मंडी पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर अनुसूचित जाति के विभिन्न संगठनों द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया तथा जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन भी दिए गए। धरना प्रदर्शन में गंभीर रूप से घायल पवन कुमार और भाई देवेंद्र कुमार के परिजनों के अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ता टीम मंडी की ओर से किरण राही सहित अन्य,अनुसूचित जाति जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति ,दलित शोषण मुक्ति मंच और भीम आर्मी के पदाधिकारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। संगठन के पदाधिकारियों ने पुलिस अधीक्षक और जिलाधीश को इस मामले से संबंधित विभिन्न पदों पर बात की तथा यह भी बताया कि यहां द्रंग विधानसभा क्षेत्र में पिछले कुछ महीने पहले भी दो बड़े बड़े मामले हुए हैं जिन पर मंडी पुलिस ने खास कार्यवाही अमल में नहीं लाई किस कारण यह मामले बार-बार हो रहे हैं।