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राजस्थान की गोल्ड मैडलिस्ट बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह की शादी मात्र आठ वर्ष की उम्र में हो गयी थी। वह अनुसूचित जाति समाज से है, ससुर, जेठ, बड़े, बुजुर्ग सबके सामने सदा घूंघट में रहती थी क्योंकि समाज जितना पिछड़ा होगा, रुढ़िवाद उतना ही हावी होगा। प्रिया शरीर से हट्टी कट्टी थी लेकिन ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी इसलिए परिवार और समाज की सोच के हिसाब से उनके सामने केवल दो ही विकल्प थे या तो चूल्हा, चौखट संभालो या फिर दूसरे के घरों में झाड़ू, पोंछा करो।

प्रिया सिंह को यह मंजूर नहीं था इसलिए उन्होंने जिम में ट्रेनर बनना का सोचा। इत्तेफाक यह हुआ कि उन्हें नौकरी मिल गयी। घर में घूंघट, साड़ी, सूट में रहती और जिम में ट्रैक सूट, जीन्स इत्यादि पहन लेती थी। देखते, सीखते और जूझते हुए आज देश के लिए उसी बॉडी बिल्डिंग में गोल्ड मेडल हासिल कर लिया। यह सम्भव हुआ क्योंकि प्रिया की बेटी, पति और पिता ने समाज की अधिक परवाह नहीं की आज वही समाज सलाम कर रहा है।

आज भले ही उन्हें यह उपलब्धि हासिल हो गयी हो लेकिन फिर मैँ जगह, जगह देख रहा हूँ कोई उनके कपड़ों पर, कोई उनकी बॉडी पर, कोई उनकी जाति पर कुछ न कुछ कह ही रहा है। बाकी कुछ इनसे अलग यह भी कह रहे हैं कि इनका देश के लिए क्या योगदान होगा या इतना क्यों तवज्जो देना इत्यादि। बात तवज्जो की नहीं है बल्कि प्रेरणा की है। बात अन्य के लिए प्रेरणा और उसके पीछे के संघर्ष, परिस्थिति, पृष्टभूमि और तरह-तरह की सोच के मायनों की होती है।

जब भी कोई भी इंसान कोई उपलब्धि हासिल करता है भले ही वह बहुत छोटी हो, भले वह उपलब्धि उनसे पहले असँख्य लोग कर चुके हों लेकिन वह हमारे देश, राज्य,, जिला, ब्लॉक, गांव, घर, समाज, घर तक आते-आते बहुत बड़ी हो जाती है। ख़ासकर हाशिए के वंचित, दबित, शोषित, पीड़ित, उपेक्षित लोगों को यह तवज्जो इसलिए दी जाती है ताकि उनसे दूसरे भी सीख ले सके। लिंग, जाति, पेशा और समाज उक्त का उदाहरण देखकर, अन्य के लिए प्रेरणा बन सके।

इसलिए जबतक हम विषय की बारीकी नहीं समझ लेते, हम अर्थ का अनर्थ निकालते हैं। हम बेवज़ह उसमें जातिवाद, क्षेत्रवाद, धर्मवाद, लिंगवाद खोजते हैं जबकि हम यहां बात केवल अंतिम व्यक्ति को भी आगे बढ़ाने की करते है और सभी को समान अवसरों की करते हैं तथा सरकारों की अनदेखी तथा उपलब्धि हासिल करने वाले की परिस्थिति की भी करते हैं। अव्यवस्था को व्यवस्थित और बेहतर प्रदर्शन को समर्थित करते हैं। जो कि मेरी नज़र में बहुत ही जरूरी बात है।

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