संगठन कार्यकर्ता माधुरी को किया गया जिला बदर; आदिवासियों ने पूछा, जागरूक और संगठित आदिवासियों से क्यों घबरा रही है मध्य प्रदेश सरकार?*
AAS 24news मध्य प्रदेश 8 जुलाई
संवाद सूत्र
दिनांक 07.07.2023 को जिला कलेक्टर बुरहानपुर द्वारा जागृत आदिवासी दलित संगठन के माधुरी बहन को 1 साल के लिए ज़िला बदर कर दिया है । अपने अधिकारों को समझते हुए अपना जंगल बचाने के लिए संवैधानिक संघर्ष कर रहे आदिवासियों पर मध्य प्रदेश शासन – प्रशासन का यह सबसे ताज़ा हमला है ।
जिला बदर आदेश पारित होने के तुरंत बाद जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा एक बयान जारी कर यह सवाल उठाया गया है कि आखिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों की जागरूकता से इतना घबरा क्यों रहें हैं? उन्होंने यह भी घोषणा की कि आदिवासियों की सामाजिक एकता और कानूनी और संवैधानिक अधिकारों के प्रति उनकी जागरूकता पर हो रहे इस हमले से वे दबने वाले नहीं है । कलेक्टर के आदेश के खिलाफ अपील कोर्ट में भी किया जाएगा एवं आम जनता में भी जागरूक आदिवासियों के खिलाफ इस षड्यंत्र को उजागर करने के लिए अभियान चलाया जाएगा ।
कानूनी वन अधिकार लेने और वन विभाग के निरंतर अत्याचार और हिंसा के खिलाफ पिछले 5 वर्षों से एकजुट हुए बुरहानपुर के आदिवासी अपने अधिकार की लड़ाई के साथ-साथ वनों के अवैध कटाई के खिलाफ भी लामबंध हैं और अक्तूबर 2022 से बुरहानपुर जिले में 6 महीनों तक खुले आम चले 15,000 एकड़ से ज़्यादा वनों की कटाई और करोड़ों रूपये की लकड़ी तस्करी के खिलाफ निरंतर शिकायत और आंदोलन किया, 5 अप्रैल से तीन दिन और रात तक कलेक्टर परिसर में हज़ार से ज़्यादा आदिवासी वन कटाई पर रोक की मांग करते हुए धरने पर डटे रहे । इस कटाई के लिए शासन-प्रशासन की आपराधिक निष्क्रियता और मौन सहमति को ज़िम्मेवार ठहराते हुए सार्वजनिक तौर पर उन्हें ललकारते हुए कहा था कि इस बड़े पैमाने पर खुले आम वन कटाई, सरकार की सहमति के बिना हो ही नहीं सकती है । उल्लेखनीय है कि बुरहानपुर मध्य प्रदेश के वन मंत्री कुँवर विजय शाह के गृह क्षेत्र का हिस्सा है।
वन कटाई के खिलाफ इस सशक्त अभियान से बौखला कर अप्रैल-मई से ज़िले के पुलिस और प्रशासन आदिवासी कार्यकर्ताओं को धमकाना, उन्हें फर्जी मामलों में गिरफ्तार करना शुरू किया था और अब उनको कानूनी जानकारी उपलब्ध करने वाली माधुरी बहन को जिला कलेक्टर द्वारा एक साल के लिए बुरहानपुर जिले से जिला बदर किया है ।
खुले आम चले वन कटाई पर आँख मूंदने वाला वन विभाग पिछले कई वर्षों से कानूनी वन अधिकार के पात्र आदिवासियों को अवैध रूप से बेदखल करने, उन्हें बंधक बना कर पीटने और झूठे केस में फसाने जैसे अत्याचार निरंतर करता आया है और वन अधिकार कानून को विफल करने का पूरा प्रयास करता आया है । मात्र इस एक ज़िले में लगभग 10,000 दावे लंबित है, जिसके बारे में भी संगठन निरंतर आंदोलन करता आया है ।
जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ताओं के अनुसार, वे हर नागरिक के लिए इज्जत से जिंदगी जीने के संवैधानिक अधिकार को हासिल करने के साथ-साथ जल जंगल जमीन की लूट और विनाश का पूरज़ोर विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध है । ऐसे हमले, प्रताड़ना और दबाव से जागृत आदिवासी दलित संगठन का अभियान दबने वाला नहीं है, बल्कि और भी ज्यादा ताकत और एकता के साथ संवैधानिक मूल्यों, इज्ज़त से जीने के हक और जल जंगल ज़मीन को बचाने के लिए आगे बढ़ेगा ।