भारत सरकार द्वारा 1962 में स्थापित मंडी जिला के 29.94 वर्ग किलोमीटर में फैले शिकारी देवी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एरिया के समीप शहरीकरण और अन्य विकासात्मक गतिविधियों के प्रभाव को कम करने के लिये संरक्षित क्षेत्रों से सटे क्षेत्रों को इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित किया गया है। इको सेंसेटिव जोन वह क्षेत्र हैं जिन्हें वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत घोषित किया गया है। इको सेंसेटिव जोन की घोषणा का उद्देश्य उन क्षेत्रों में कृषि को छोड़कर सभी प्रकार की मानवीय गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना है। शिकारी देवी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में घोरल, काला भालू, कस्तूरी मृग, मोनाल जैसे दुर्लभ जानवर और पक्षी पाए जाते हैं।
सेंक्चुरी एरिया से सटे इको सेंसेटिव जोन में नाचन वन मंडल के 39 गांव जिसमें खलौणी, शोधाधार, टुंगरासन, खोहाधार, अपर ठाहरू, लोअर ठाहरू, अपर व लोअर रेओंसी, धरावत, गुराड़ा, जामली, जरयाड़, ढींगली, जवाल, नरोट, भैंद, शाल, बनशिल्ह, लांब, पयाला, मुरहाला, मुजहरला, जिमधार, साउच, बुंगातू, लींग, ढलियारा डवार, किल्वा, सिल्ह, चैड़ा, बनसोर, धलीयर, जनेहड़ दोघरी और लेहड़ा दोघरी जबकि करसोग वन मंडल के चार गांव मोहराला, चुरासनी, डवार और नसरार शामिल हैं।
डीएफओ नाचन और मेंबर सेक्रेटरी इको सेंसेटिव जोन सुरेन्द्र कश्यप ने बताया कि इको सेंसेटिव जोन घोषित करने का मूल उद्देश्य वन क्षरण और मानव-पशु संघर्ष को कम करना है। संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन के मूल और बफर मॉडल पर आधारित होते हैं, जिनके माध्यम से स्थानीय क्षेत्र के समुदायों को भी संरक्षित एवं लाभान्वित किया जाता है। उन्होंने बताया कि नोटिफिकेशन के बाद स्थानीय लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सेंचुरी एरिया के बाहर 50 मीटर से लेकर दो किलोमीटर तक सेंसेटिव जोन निर्धारित किया गया है। अगर जोन निर्धारित नहीं किया गया तो दस किलोमीटर तक का क्षेत्र स्वत ही इसके दायरे में आ जाएगा जिससे इसकी जद में सैंकड़ों गांव आएंगे। इसलिए हमने पहले ही दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्रों को शामिल किया है जिसके लिए सभी संबंधित विभागों को 20 जनवरी तक अपनी अपनी योजनाएं देने को कहा गया है। भविष्य में इको सेंसेटिव जोन में मास्टर प्लान के तहत ही विकास कार्य होंगे। मास्टर प्लान से बाहर किसी भी कार्य की अनुमति नहीं मिल पाएगी।
एसडीएम थुनाग रमेश कुमार ने बताया कि इको सेंसेटिव जोन में अधिकांश गांव सराज क्षेत्र के हैं इसलिए बीडीओ सराज सहित सभी विभागों को इको सेंसेटिव जोन में शामिल गांवों के लिए योजना बनाने को कहा गया है। मास्टर प्लान के बाहर सभी तरह गतिविधियां पूर्णतया बंद होंगी।
दो दस किलोमीटर का दायरा आएगा:
केंद्र सरकार ने देशभर के सभी वन्य जीव अभयारण्य से सटे क्षेत्रों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्यों को फरवरी माह तक इको सेंसेटिव जोन के लिए विशेष मास्टर प्लान तैयार करने को कहा है ताकि वन्य जीव अभयारण्य में रह रहे जीवों के आवासीय क्षेत्रों में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो। राज्यों द्वारा ऐसा न करने पर वन्य जीव अभयारण्य से सटा दस किलोमीटर का क्षेत्र स्वत: ही इको सेंसेटिव जोन घोषित हो जाएगा। शिकारी देवी वन्य जीव अभयारण्य से सटे दो किलोमीटर के क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया है। वाणिज्यिक खनन, आरा मिलें, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग, प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना, लकड़ी का व्यावसायिक उपयोग, पर्यटन गतिविधियाँ जैसे- राष्ट्रीय उद्यान के ऊपर गर्म हवा के गुब्बारे, अपशिष्टों का निर्वहन या कोई ठोस अपशिष्ट या खतरनाक पदार्थों का उत्पादन और पेड़ों की कटाई, होटलों और रिसॉर्ट्स की स्थापना, प्राकृतिक जल का व्यावसायिक उपयोग, बिजली के तारों का निर्माण, कृषि प्रणाली में भारी परिवर्तन, जैसे- भारी प्रौद्योगिकी, कीटनाशकों आदि को अपनाना, सड़कों को चौड़ा करना नहीं हो पाएगा। इसके अलावा संचालित कृषि या बागवानी प्रथाएँ, वर्षा जल संचयन, जैविक खेती, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग, सभी गतिविधियों के लिये हरित प्रौद्योगिकी को अपनाने पर बल दिया जाएगा।
प्लान न दिया तो आएगी दिक्कत:
इको सेंसेटिव जोन घोषित होने के बाद इसके दायरे में आने वाले क्षेत्रों में सभी विकासात्मक कार्य मास्टर प्लान के तहत किए जाएंगे। इको सेंसेटिव जोन के विकास के लिए जोनल मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। इसके लिए मुख्य अरणयपाल मंडी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। कमेटी में डीएफओ नाचन को मेंबर सेक्रेटरी, डीएफओ करसोग, जिला पंचायत अधिकारी मंडी, जिला पर्यटन अधिकारी मंडी, जिला योजना अधिकारी मंडी, जिला विकास अधिकारी मंडी, डीएफओ वाइल्ड लाइफ कुल्लू, एसडीएम थुनाग, करसोग और गोहर को सदस्य बनाया गया है। कमेटी ने पिछले दिनों हाइब्रिड मोड पर बैठक कर सभी सदस्यों को 20 जनवरी तक अपने क्षेत्र की विस्तृत कार्ययोजना देने को कहा गया है। मास्टर प्लान न देने पर इको सेंसेटिव जोन में आने वाले क्षेत्रों को भविष्य में विकास कार्य करवाना असंभव हो जाएगा।
फोटो: शिकारी देवी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी