शादी के कार्ड से गायब रहे धार्मिक चिन्ह, प्रकृति, संविधान व विज्ञान का बोलबाला

AAS 24newsनाहन/सिरमौर

पांवटा साहिब के अप्पर धमौन गांव के प्रवेश भारत और सालवाला गांव की निशा सदियों पुरानी परंपराओं को तोड़ते हुए नये अंदाज में विवाह के सूत्र में बंधे। उनके विवाह की रस्में पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी रही। शादी के कार्ड से लेकर विवाह की रस्मों तक सबकुछ नये अंदाज में दिखा।

दोनों ने हिंदू रीति रिवाज के ब्रह्म विवाह की प्राचीन परम्परा में बदलाव किया। शादी पंडि़त के बिना अंजाम दी गई। दोनों ने संविधान को सााक्षी मानकर एक दूसरे को अपनाया। इस शादी का कार्ड भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। शादी के कार्ड से धार्मिक चिन्ह गायब रहे। उनकी जगह मानव का कल्याण करती प्रकृति, न्याय दिलाने वाले संविधान और दुखों और अज्ञानता को दूर करते विज्ञान को जगह दी गई। यही नहीं मनुष्य को जागरूक करते दोहों को भी शादी के कार्ड में शामिल किया गया।

इस शादी में नई परम्पराओं के अनुसार ही 15 मई को मामा स्वागत, सेहराबंदी, महिला संगीत की रस्म अदा की गई। अगले दिन 16 मई को बारात प्रस्थान से लेकर दुल्हन प्रवेश तक की सभी रस्में अनूठे ढंग से निभाई गई।
बता दें कि अप्पर धमौन निवासी गुजा देवी व राम लाल चौहान के पुत्र प्रवेश सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। यह युवा पुरानी रूढिय़ों को तोडऩे के लिए उत्सुक था। ऐसे में अपनी शादी के लिए कुछ नया करने की सोची।

प्रवेश का कहना है कि विवाह दो दिलों का मेल है, इसमें परंपरागत कर्मकांड और रीति रिवाजों का होना जरूरी नहीं है। प्रवेश को लड़की के परिवार को यह सब मनमाने में थोड़ी मशक्त जरूर करनी पड़ी। अंत में वह सफल रहा। विवाह के दौरान जब गाजे बाजे के साथ दुल्हन लेने के लिए बारात आई तो लड़की वालों ने पूरी आव भगत भी की। इसके बाद दूल्हा-दुल्हन ने संविधान को साक्षी मानकर एक दूसरे का हाथ थामा और बारात दुल्हन लेकर लौटआई। यह शादी क्षेत्र समेत पूरे जिला में चर्चा का विषय बनी रही। युवाओं के इस एक कदम ने दूसरे युवाओं के लिए भी कुछ नया करने की मिसाल पैदा की है।

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