AAS 24news रांची/ झारखंड 5 जुलाई
आलोका
आज 5 जुलाई 2023 को झारखंड के 84-वर्षीय फादर स्टैन स्वामी की न्यायिक हिरासत में हत्या के दूसरी शहादत दिवस पर ‘शहीद फादर स्टेन स्वामी न्याय मोर्चा’ द्वारा राज भवन, रांची के समक्ष श्रधांजलि सह संकल्प सभा का आयोजन किया गया. इसमें रांची समेत विभिन्न ज़िलो से अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं व विभिन्न संगठनों व राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सभा में वक्ताओं व प्रतिभागियों ने एक स्वर में स्टेन के न्यायिक हिरासत में मौत के दोषियों पर कार्यवाई की मांग की एवं निम्न बात रखी
स्टैन को 2018 से भीमा-कोरेगांव मामले में फ़र्ज़ी आरोपों पर एवं दमनकारी कानून UAPA अंतर्गत प्रताड़ित किया गया – पहले भाजपा-शासित महाराष्ट्र सरकार के पुणे पुलिस द्वारा और फिर मोदी सरकार की जांच एजेंसी NIA द्वारा. 8 अक्टूबर 2020 को बगईचा, रांची से NIA उन्हें रात के अँधेरे में गिरफ्तार कर के मुंबई ले गयी जहाँ उन्हें तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में रखा गया जिस दौरान उनकी बेल के आवेदन को कई बार रद्द किया गया और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा तक उपलब्ध नही करवाई गयी.
NIA द्वारा स्टैन के कंप्यूटर से माओवादियों के साथ संपर्क और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश सम्बंधित दस्तावेज़ कथित रूप से बरामद किए गए थे. स्टैन ने लगातार कहा था कि दस्तावेज़ फ़र्ज़ी हैं एवं उन्हें इनकी जानकारी नहीं है. अंतरराष्ट्रीय डिजिटल शोध संस्था (आर्सेनल) ने प्रमाणित किया है कि इन दस्तावेजों समेत 44 दस्तावेजों को स्टैन की कंप्यूटर में हैकरों द्वारा बाहर से डाला गया था. यह भी प्रमाणित हुई है कि महाराष्ट्र पुलिस को इसकी जानकारी थी.
वक्ताओं ने कहा कि भीमा कोरेगांव केस मोदी सरकार द्वारा प्रायोजित एक आधारहीन और फर्जी मुकदमा है जिसका उद्देश्य सिर्फ देश के शोषित और वंचित वर्ग के पक्ष की बात रखने वालों और सरकार की जन-विरोधी नीतियों पर सवाल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों व वकीलों को प्रताड़ित करना है. इस मामले में फंसाए गए स्टैन स्वामी, सुधा भरद्वाज, गौतम नवलखा, महेश राउत, आनंद तेलतुम्बडे समेत 16 लोगों के विरुद्ध किसी प्रकार का सबूत नहीं मिला है. अभी तक मात्र 2 लोगों को लम्बे संघर्ष के बाद बेल मिला है. अन्य सभी पांच साल से हिरासत में हैं. आज तक केस का ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ.
वक्ताओं ने यह भी कहा कि देश में हजारों लोग – असंवैधानिक नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का शांतिपूर्ण विरोध करने वाले, छात्र, किसान, आदिवासी, कश्मीर के लोग, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता, सांस्कृतिक कार्यकर्ता आदि – UAPA अंतर्गत प्रताड़ित किए जा रहे हैं. UAPA के दमनकारी नियमों के कारण किसी को भी बिना सबूत के महीनों तक बेल से वंचित रखा जा सकता है एवं उग्रवादी करार दिया जा सकता है. स्टैन स्वामी झारखंड समेत पूरे देश के उन हजारों विचाराधीन कैदियों के प्रतीक हैं जो सालों से UAPA एवं ऐसे अन्य दमनकारी कानूनों के फ़र्ज़ी आरोपों पर जेल में डाले गए हैं.
यह स्पष्ट है कि आदिवासियों-मूलवासियों के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा हर तरह के हतकंडे अपनाएं जा रहे हैं – आदिवासियों के लिए बने विशेष संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों को कमज़ोर किया जा रहा है, जबरन भूमि अधिग्रहण के लिए कानून थोपे जा रहा हैं, भूमि दस्तावेजों का डिजिटलीकारण कर एवं स्वामित्व कार्ड जैसी योजनाओं को लागू कर स्थानीय भूमि कानूनों जैसे CNT-SPTA को ख़तम करने एवं आदिवासी-मूलवासियों की भूमि पर दखल को कमज़ोर करने की प्रक्रिया चल रही है आदि. अनेक वक्ताओं ने कहा कि अब केंद्र सरकार सामान नागरिक संहिता (UCC) लाने की कोशिश कर रहा है जो आदिवासी समाज के संस्कृति, जल, जंगल, ज़मीन और अस्तित्व पर सीधा हमला है.
सभा में उपस्थित लोगों ने संकल्प लिया कि आने वाले दिनों में स्टैन स्वामी की शहादत से प्रेरणा लेकर बुलंद आवाज़ में एकजुट होकर लोकतंत्र व संविधान पर हो रहे व्यापक हमलों का विरोध करेंगे. सभा के अंत में राष्ट्रपति के नाम संलग्न मांग पत्र राज्यपाल के कार्यालय में दिया गया व निम्न मांग की गयी – 1) स्टैन स्वामी के न्यायिक हत्या के दोषियों के विरुद्ध कार्यवाई की जाए, 2) भीमा कोरेगांव मामले को तुरंत ख़तम कर सभी 15 लोगों को रिहा किया जाए, 3) भीमा कोरेगांव हिंसा के ज़िम्मेवार हिंदुत्व नेताओं के विरुद्ध कार्यवाई की जाए, 4) UAPA को रद्द किया जाए एवं 5) सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा किया जाए.
सभा को अलोका कुजूर, अमल आजाद, भरत भूषण चौधरी, बिंदे सोरेन, भुवनेश्वर केवट, दयामनी बारला, गौतम बोस, निरंजना हेरेंज, प्रफुल लिंडा, पी एम टोनी, शशि वर्मा, सुषमा बिरुली, एस के राय, टॉम कावला समेत कई वक्ताओं द्वारा संबोधित किया गया. संचालन एलिना होरो व तारामनी साहु एवं धन्यवाद ज्ञापन सिस्टर लीना द्वारा किया गया.